The smart Trick of Shiv chaisa That Nobody is Discussing
The smart Trick of Shiv chaisa That Nobody is Discussing
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सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे shiv chalisa lyricsl ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर Shiv chaisa वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
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नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥ शंकर हो संकट के नाशन ।
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन